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काल शर्प दोष परिचय
जब किसी भी व्यक्ति के जन्म पत्रिका में राहु केतु के मध्य सभी ग्रहो का होना काल सर्प योग कहलाता हैं | अगर ज्योतिष के अनुसार काल सर्प योग की व्याख्या करें तो राहु केतु के स्थिति अधिकार आमने-सामने की होती हैं और अन्य गृह इनके मध्य में आ जाएं तो वह अपना प्रभाव त्याग कर राहु-केतु के चुम्बकी क्षेत्र में प्रभावित हो जाते हैं | काल सर्प दोष का निर्माण पूर्व जन्म कृत दोष या पितृ दोष के कारन होता हैं | इसलिए किसी योग विध्वान या ज्योतिष आचार्य द्वारा ही शान्ति अवश्य करवा लेनी चाहिए |
काल सर्प योग के प्रकार:-
ज्योतिष शास्त्र में १२ राशियाँ होती हैं और उनके आधार पर १२ लग्न व् विविध प्रक्कर से देखा जाएं तो २८८ प्रकार के काल सर्प दोष का निर्माण होता हैं लेकिन मुख्या रूप से काल सर्प १२ प्रकार के होते हैं |
अनंत काल सर्प दोष :- लग्न में राहु और सातवे भाव में केतु हो और सभी ग्रह इनके बिच में हो तो अनंत काल सर्प योग बनता हैं | इस योग में जन्म व्यक्ति को मानसिक अशांति व् वैवाहिक जीवन दुःखमय व् कष्टमय व्यतीत होता हैं |
कुतिक काल सर्प दोष :- यदि दूसरे स्थान पर राहु और आठवे स्थान पर केतु हो तो यह योग बनता हैं | इसमें जन्मे व्यक्ति को धन से सम्बंधित कर्जदार, शरीर कमजोर व् रोग, धन की कमी, कोई भी काम होते-होते रुक जाना, परिजनों से विद्रोह का दुःख सहना पड़ता हैं |
बासुकी काल सर्प दोष :- राहु तीसरे घर में केतु नवे घर में हो तो यह काल सर्प योग बनता हैं | इस योग में जन्मे व्यक्ति का वैर-विरोध, नौकरी में अड़चन, मुकदमा, कार्य में विघ्न तथा जीवन में बहुत से संघर्ष करने पड़ते हैं |
शंख पाल काल सर्प दोष – इस योग में चौथे घर में राहु व् दसवे घर में केतु हो तो यह दोष बनता है | इस दोष में जन्मे जातक को माँ का सुख काम मिलता है , शिक्षा, व्यवसाय व् नौकरी में अड़चने आती है |
पदम् काल सर्प दोष – जब राहु पंचम व् केतु ग्यारहवे घर में हो तो यह योग बनता है | इसमें जन्मे जातक पेट-पैर से परेशानी, पत्नी से कष्ट, जुआ सट्टा कुमार्ग के कार्यो में धन का अपत्य करता है |
नभ काल सर्प दोष – जब राहु छठे घर में और केतु बारहवे घर में हो तो यह योग बनता है | इस योग में जातक को कलंक, कुसंग, जेल, व् मुकदमा, परिवार से वाद विवाद जीवन में संघर्ष करना पड़ता है |
तक्षक काल सर्प दोष – जब सातवे घर में राहु व् प्रथम घर में केतु हो तो यह योग बनता है | इस योग में जातक का पत्नी से वैर-विरोध, तलाक, व् नौकरी में अड़चने उसका जीवन वनवास जैसा व्यतीत होता है | कदम-कदम पर परेशानिया झेलनी पड़ती है |
कर्कोटक काल सर्प दोष – इस काल सर्प में राहु आठवे घर में व् केतु दूसरे घर में होता है यह योग बनता है | इस योग में जन्मे जातक शरीर में कमजोर, सूखा की बीमारी आर्थिक तंगी से ग्रसित व् मानसिक, शारीरिक कष्ट अवसाद, तनाव, चोट-चपेट,मानसिक रोग से घिरा रहता है | अकाल मृत्यु होने की भी सम्भावना होती है |
शंखनाद काल सर्प दोष – इस योग में राहु नौवे घर में व् केतु तीसरे घर में हो तो यह योग बनता है | इस योग में जन्मे व्यक्ति दरिद्र, क्रोधी, परिश्रमी व् उसे बार-बार स्थान परिवर्तन व् अपमान का सामना करना पड़ता है |
पटक काल सर्प दोष – इस योग में राहु दसवे व् केतु चौथे घर में हो तो यह योग बनता है | इस योग में जन्मा जातक संतान वियोगी व् माता पिता के लिए भरी कष्टकारी होता है | एकांत वासी व् धर्म विरोधी व् समाज में सम्मान का भागी नहीं होता |
विषाक्त काल सर्प दोष – यह योग जब ग्यारहवे घर में राहु व् केतु पांचवे भाव में हो तो बनता है | इस योग में जन्मा जातक मंद बुद्धि, उग्र, चोर, लुटेरा बनता है | काम वासना भोगी होता है |
शेष नाग काल सर्प दोष – इस योग में राहु बारहवे व् केतु छठवे घर में होता है | इस योग में जन्मा जातक का दांपत्य जीवन क्लेश युक्त शत्रुओ से डर व् अपहरण हत्या का डर होता है |
सर्वाधिक अनिष्टकारी समय
काल सर्प दोष युक्त जातक के जीवन में सर्वाधिक कष्ट व् परेशानिया तब आती है जब जातक के जन्म कुंडली में राहु की महादशा राहु की प्रत्यांतर दशा में मंगल व् सूर्य अथवा शनि की महा दशा में जीवन की मध्य (४० से ४५ वर्ष) तक व् (२० से ३० वर्ष)के बीच में जब जब गोचर गृह काल सर्प दोष बनता है तब तब जीवन में कष्ट व् परेशानिया आती है |