ग्रहों का प्रभाव, व रत्नों द्वारा समाधान

(1) सूर्य (SUN)
सूर्य :– यदि किसी जातक की कुंडली में सूर्य अशुभ हो तो उसको सूर्य के बीज मंत्र का कम से कम 7000 की संख्या में जप करना चाहिए1 जप का प्रारंभ शुक्ल पक्ष में रविवार को शुभ मुहूर्त में सूर्योदय से प्रारंभ करना चाहिए पाठ करते समय अपने पास ताम्र के पात्र में शुध जल, चावल, लाल चंदन, लाल कनेर का पुष्प गंगाजल व गुड डालकर पात्र को लाल वस्त्र व आम के पत्तो से ढक लेना चाहिए साथ ही सूर्य के निमित दाना वस्तुओं को पास मे रख लेना चाहिए।

सूर्य का बीज मंत्र – ॐ हां हीं हों स: सूर्याय नम: (जय संख्या 7000)

राशि – सिंह
स्वामी – सूर्य
रत्न – मॅडिकय
उपरत्न – सूर्यकांत मणि, लालडी, तामडा.
धातु तांबा – सोना – व पॅंचधातु में धारण करना चाहिए.

विशेष – मेष, कर्क, सिंह, तुला, व्रश्चिक एंव धनु राशि धारकों व इन्ही लग्न में उत्पन्न धारकों को मॅडिका धारण करना शुभ होता है व जिनकी कुंडली में चंद्र कुंडली में सूर्य योग प्रभावी नहीं रहा हो तो उन्हें भी मांडिक़या धारण करना शुभ है।

(2) चंद्रमा (MOON)
चंद्रमा: जब जन्म या वर्ष कुंडली में चंद्रमा अशुभ हो तो चंद्र देव के बीज मंत्र का 11 हज़ार जप संख्या में करना और तत्पश्चात दशामाश संख्या में हवन कल्याणकारी होता है जप का प्रारंभ शुक्ल्पक्श के सोमवार को शुभ मुहूर्त में प्रारंभ करना चाहिए।

चंद्रमा का बीज मंत्र – ॐ श्रा श्रीं श्रों स: चंद्रमसे नम: जप संख्या (1100)

राशि – कर्क
स्वामी – चंद्रमा
राशिरत्न – मोटी
उपरत्न – चंद्रकांतमणि
धातु – चाँदी

विशेष – मेष, व्रष, मिथुन, कर्क, तुला, व्रश्चिक, मीन राशिधारकों या इन्ही लग्न वालों को मोती धारण करना शुभ होता है।

(3) मंगल (MARS)
मंगल – यदि जन्म कुंडली में या वर्ष में मंगल अशुभ है तो मंगल के बीज मंत्र का 10 हज़ार की संख्या में जप शुक्ल पक्ष के मंगलवार से प्रारंभ करना चाहिए।

मंगल का बीज मंत्र – ॐ क्रा क्रा क्रों स: भोमाए नम: जप संख्या (1100)

राशि – मेष व व्रश्चिक
स्वामी – मंगल
रत्न – मूँगा
उपरत्न – विद्रुममणि या संघ मूँगी, रतुआ, लाल अकीक
धातु – तांबा-सोना-पॅंचधातु

विशेष – कर्क, सिंह, तुला, वृस्चिक, मकर, कुंभ, मीन, राशि व लग्न वालों को मूँगा धारण करना शुभ होता है।

(4) बुध (MERCURY)
बुध – जब जन्म कुंडली में या वर्ष कुंडली में बुध अशुभ होता हो तो भगवान विष्णु का ध्यान करके शुक्ल पक्ष में बुध के बीज मंत्र का जप करना चाहिए।

एक हज़ार बुध का बीज मंत्र – ॐ ब्रा ब्री ब्रॉ ब्रॉ स: बुधाय नम: जप संख्या 1000

राशि – मिथुन व कन्या
स्वामी – बुध
रत्न – पन्ना
उपरत्न – मारगज़, जबरजंद
धातु – सोना – पॅंचधातु

विशेष – पन्ना विशेष कर व्रष, मिथुन, मकर व मीन राशि को धारण करना चाहिए1 जिसका जन्म इन्ही लग्न मे हुआ हो।

(5) गुरु (JUPITER)
गुरु: जब किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली या वर्ष कुंडली में गुरु अशुभ फल देता हो तब शुक्ल पक्ष के गुरुवार को शुभ मुहूर्त में गुरुवार के गुरु के बीज मंत्र का 19000 हज़ार मंत्र का जप करना चाहिए।

गुरु का बीज मंत्र – ॐ ग्रां, ग्री, ग्रॉं स: गुरुवे नम: जप संख्या (19000)

राशि – धनु व मीन
स्वामी – गुरु
रत्न – पुखराज
उपरत्न – सुनहलाया, सोनल
धातु – सोना चाँदी या पॅंचधातु

विशेष – पुखराज धारण करना, मेष, धनु, मीन, कर्क, वृश्चिक राशि वालों को लाभकारी है।

(6) शुक्र (DIAMOND)
शुक्र: यदि किसी जातक की जन्म कुंडली में व वर्ष कुंडली में अशुभ फल दे रहा है तो शुभ मुहूर्त में शुक्र के बीच मंत्र का 16000 हज़ार की संख्या में शुक्ल पक्ष के शुक्रवार के दिन को जप करना चाहिए व दशमांश हवन करने में शुक्र कल्याण प्रद फल प्रदायक होता है।

शुक्र के बीज मंत्र – ॐ द्रा द्रि द्रो स: शुक्राय नम: जप संख्या 16000

राशि – व्रष और तुला
स्वामी – शुक्र
रत्न – हीरा
उपरत्न – क़ुरंगा दतला सिम्मा, तुरभली, जर्कन, फ़िरोज़ा व ओपल
धातु – सोना – पॅंचधातु

विशेष – हीरा, व्रष, मिथुन, कन्या, तुला, मकर राशि धारकों को धारण करना शुभ है।

(7) शनि (SATURN)
शनि: जब किसी जातक की जन्म कुंडली या वर्ष में शनि अशुभ फल दे रहा हो तो शनि के बीज मंत्र का 23 हज़ार जप करें व दशमाश हवन करें ।

शनि का बीज मंत्र – ॐ प्रा प्री प्रो स: श्नेश्चये नम: संख्या 23000

राशि – कन्या व कुंभ
स्वामी – शनि
रत्न – नीलम
उपरत्न – जमुनया नीली, लाजवर्ट, काला अकीक
धातु – लोहा-सोना

विशेष – नीलम हमेशा चोबिस होने के बाद प्रभाव दिखता है।

(8) राहु (RAHU)
राहु : यदि जन्म कुंडली में या वर्ष कुंडली में अशुभ हो तो राहु मंत्र का जाप कर शांति करें, राहु के बीजमंत्र का 18 हज़ार संख्या में जप करें।

राहु के बीज मंत्र – ॐ भ्रा भ्रि भ्रों स: राहवे नम: (संख्या 18000)

राशि – कन्या
स्वामी – राहु
रत्न – गोमेद
उपरत्न – साफ़ी, तुरसा, भारतीय गोमेद
धातु – पॅंचधातु व लोहा

विशेष – जिन जातकों को कुंडली में राहु 1,4,5,7,9,10 वें भाव में राहु के होने पर गोमेद धारण करना चाहिए।

(9) केतु (KETU)
केतु: जिन जातकों को जन्म कुंडली में केतु अशुभ हो तो जातकों को केतु के बीज मंत्र का 17 हज़ार की संख्या में जाप करना चाहिए व दशमांश हवन भी करना चाहिए।

केतु का बीज मंत्र – ॐ स्तरँ, स्त्री, स्त्रो स: केतवे नम: जप संख्या 17000

राशि – मिथुन
स्वामी – केतु
रत्न – लहसुनया
उपरत्न – फ़िरोज़ा, गोदंत, संघीय
धातु – पॅंचधातु