रत्न परिचय

प्राचीन समय से ही रत्नो के प्रभाव के विषय में मनुष्य की जिज्ञासा रही है कि रत्न कि उत्पत्ति कैसे हुई एवं रत्नो का क्या प्रभाव मनुष्य जीवन में पड़ता है | विभिन्न पुराणों तथा ग्रंथो में अनेक प्रकार के वर्णन है इसमें पौराणिक धार्मिक आधार है तथा दूसरा वैज्ञानिक आधार है|
प्रथम पौराणिक धार्मिक आधार में श्री भगवान विष्णु ने जब राजा बलि से तीन पग धरती (पृथ्वी) का दान लिया टीबी तीसरा चरण राजा बलि के शरीर पीआर रखा जिससे राजा बलि का पूरा शरीर रत्न-मय हो गया | इसके उपरांत राजा इन्द्र ने बलि के शरीर के टुकड़े-टुकड़े कर दिये | राजा बलि के शरीर के इन्हीं टुकड़ो से रत्नो की उत्पत्ति मानी गयी है|

दूसरा वैज्ञानिक रत्नो की उत्पत्ति दो प्रकार से मानते है, प्रथम खनिज रत्न अथार्त जो जमीन के अंदर खानों से प्राप्त होते है जैसे : हीरा, नीलम, पुखराज, पन्ना, माणिक आदि | दूसरे प्रकार के रत्न समुन्द्र के गर्भ से प्राप्त होते है जिन्हें जैविक-रत्न कहा जाता है| इनका निर्माण समुन्द्र के गर्भ में विभिन्न समुंदरी कीड़ो द्वारा किया जाता है | ये रत्न है जैसे:- मूंगा तथा मोती इत्यादि |

प्राचीन शास्त्रो के अनुसार रत्नो व उपरत्नो की संख्या 84 मनी गयी है| लेकिन सभी रत्नो में केवल नौ रत्न ऐसे है जिन्हें नवरत्न की संज्ञा दी गयी है, जैसे :- माणिक, मोती, मूंगा, पन्ना, पुखराज, हीरा, नीलम, गोमेघ,लहसुनिया इन नवरत्नों के अलावा जितने भी रत्न है उन्हें उपरत्न (Semi Ston) माना गया हैं |

नवरत्न का शाब्दिक अर्थ है – नौ रत्न। भारतीय संस्कृति में नवरत्न शैली में निर्मित आभूषणों का विशेष सांस्कृतिक महत्व है। कुछ राजा अपने दरबार में नौ विद्वान रखते थे। उन्हें भी ‘नवरत्न’ कहा जाता था। विक्रमादित्य और अकबर के दरबार में नवरत्न थे।

ये नौ रत्न हैं-

वज्रमणि, वैडूर्यमणि, पद्ममणि, माणिक्यमणि, मरकतं, गोमेधिक, विद्रुम, मुक्ता और नील

माणिक्य (Ruby) – सूर्यः
मरकत (Emerald) – बुधः
वज्र (Diamond) – शुक्रः
मुक्ता (Pearl) – चन्द्रः
गोमेघ (Hessonite) – राहुः
वैडूर्य (Chrysoberyl) – केतुः
प्रवाल अथवा विद्रुम (Coral) – मङ्गल
पद्मराग अथवा पुष्यराग अथवा पुष्पराज अथवा पुष्पराग (Yellow sapphire) – गुरुः
इन्द्रनील (Blue Sapphire) – शनिः

माणिक्यं तरणेः सुजात्यममलं मुक्ताफलं शीतगोः
माहेयस्य च विद्रुमं मरकतं सौम्यस्य गारुत्मतम
देवेज्यस्य च पुष्पराजमसुराचार्यस्य वज्रं शनेः
नीलं निर्मलमन्ययोश्च गदिते गोमेद-वैदूर्यके

नवरत्न परिचय

हीरा(Diamond): हीरा धारण करने से शुक्र-ग्रह संबन्धित सभी दोष शान्त हो जाते है जिनकी राशि वृष या तुला है उनके लिए हीरा अत्यंत गुणकारी होता है। चेहरे पर मुस्कान, शरीर में नवीन क्रांति, मानसिक दुर्बलता का अन्त एवं दाम्पत्य जीवन सुखमय करता है। भूत-प्रेत बाधा दूर करने में सक्षम है। स्वास्थ्य की रक्षा करता है।

पन्ना(Emerald): पन्ना बुद्ध ग्रह का प्रतिनिधि रत्न है, पन्ना पहनने से बुध ग्रह से संबन्धित सभी दोष शान्त हो जाते है। मिथुन या कन्या राशि वालों के लिये पन्ना विशेष शुभ फलदायक होता है। पन्ना अपने हरे रंग के अनुकूल जीवन में हरा ही हरा फल प्रदान करता है।

वैवाहिक जीवन में मधुरता, संतान की प्राप्ति, बुद्धि का विकास, आंखों की रोशनी को बढ़ाता है। विद्यार्थियों की पन्ना तीक्ष्ण-बुद्धि करता है, पढ़ने में मन लगाता है। मानसिक शांति प्रदान करता है।

पुखराज(Yellow Saffhire): पुखराज गुरु- बृहस्पति ग्रह का प्रतिनिधि रत्न है। धारक के गुरु-ग्रह से संबन्धित सभी दोष शांत हो जाते है। धनु राशि वालों के लिये पुखराज धारण करना अत्यन्त शुभ फलदायक होता है।

पुखराज के धारण करने से व्यापार तथा व्यवसाय में अभूतपूर्व बढ़ोतरी होती है। पुखराज को देवताओं के गुरु- बृहस्पति जी का प्रतीक माना जाता है।

यदि कन्या के विवाह में देरी हो रही हो तो कन्या को पुखराज धारण करने से विवाह सुलभ हो जाता है। पति-पत्नी में आपस में प्रेम पैदा करता है। एवं गृहस्थ जीवन की उलझनों को मिटाता है।

माणिक(Ruby): माणिक सूर्य ग्रह का प्रतिनिधि रत्न है। सिंह राशि वालों को माणिक धारण करने से सूर्य सम्बन्धी दोष शान्त हो जाते है। यह तेजस्वी, प्रतापी, प्रभावशाली बनाता है। यह वंश वृद्धिकारक, भय, व्याधि, दुःख, क्लेश, चिन्ता को दूर करता है। यह नेत्रों के रोगी व्यक्ति के लिए लाभकारी है।

नीलम(Blue Saffhire): नीलम शनि ग्रह का प्रतिनिधि रत्न है, मकर तथा कुंभ राशि वालों को नीलम धारण करने से शनि से संबन्धित दोष शान्त हो जाते है। नीलम का प्रभाव शुभ व अशुभ दोनों प्रकार का होता है, इसलिये नीलम को परीक्षण के उपरान्त ही धारण करना चाहिये।

मूंगा(Coral): मूंगा धारण करने से व्यक्ति के मंगल ग्रह से संबन्धित सभी दोष शान्त हो जाते है। मेष तथा वृश्चिक राशि वालों के भाग्य को जगता है। मूंगा धारण करने से नज़र दोष, भूत-प्रेत आदि का भय नहीं रहता है। इसलिये प्राय छोटे बच्चों के गले में मूंगे के दाने की माला या दाने डाले जाते है। यह मनुष्य के आत्मबल को बढ़ाता है तथा विश्वास को द्रढ करता है।

मोती(Pearl): मोती धारण करने से चन्द्रमा ग्रह से संबन्धित समस्त दोष शांत हो जाते है। कर्क राशि वालों को मोती अवश्य धारण करना चाहिये। मोती की तासीर ठंडी होती है इसे धारण करने से क्रोध शांत हो जाता है मानसिक तनाव दूर हो जाता है। मोती जीवन में उत्साह-निश्चितता लाने में अन्यन्त लाभकारी है। मोती कोई भी पहन सकता है। स्त्रियों के पेट-उदर विकार, ह्रदय रोग, मन का आश्चर्यजनक रूप से बल ताकत मिलती है। स्त्रियों को मनके की 108 दाने वाली माला धारण करनी चाहिये।

गोमेद(Zircon): गोमेद राहू ग्रह का प्रतिनिधि रत्न है। गोमेद धारण करने से राहू ग्रह के अनिष्ट प्रभाव शांत हो जाते है। इसके धारण करने से निर्णय लेने की क्षमता बढ़ जाती है। शत्रु पक्ष कमजोर हो जाता है। कोर्ट कचहरी के मामलों में विजय प्राप्त हो जाती है, इस रत्न को पहनने के लिये ज्यादा राशि विचार नहीं किया जाता है।

लहसुनिया(Cat’s Eye): लहसुनिया दानव ग्रह केतू का प्रतिनिधित्व करता है। लहसुनिया धारण करने से राहू, केतू, शनि तीनों ग्रहों की दशाओं में यह रत्न प्रभावी है। ग्रह दशा शांत होती है, यह मानसिक परेशानी, शारीरिक कमजोरी, दुःख-दर्द, दरिद्रता से छुटकारा दिलाता है व रात्रि में भयानक स्वप्न भी नहीं आते। इससे बल, बुद्धि, तेज, पराक्रम, सम्पत्ति, आनन्द, पुत्र की प्राप्ति का योग बनता है।