रत्न द्वारा चिकित्सा उपाए

रत्न -> तामडा: यह प्रॅडकारी रोगों को शांत करता है |

जैसे – शरीर में जलन, पित्ति उछलना, जलन, शरीर में ताप, आदि | मित्रता एव प्रेम में अस्थायित्व स्थापित करता है, धैर्य एवम् साहस देता है |

रत्न -> चंद्रकांत मणि: स्मृति मानसिक शांति, अनिद्रानाशक, ह्रदय कष्ट आदि में विशेष लाभकारी है |

जैसे – मानसिक तनाव नींद ना आना, हमेशा बेचैन रहना, हार्ड में दर्द, कोलेस्ट्रॉल की मात्रा नियंत्रित करना, हार्ड अटैक से बचाने में विशेष लाभकारी है |

रत्न -> रतुवा: रक्त स्रवण रोकता है, अमूर्त एव ज़्वरनाशक तथा आवाज़ को स्पष्ट करता है |

रत्न -> सुनहला: कष्ट संबंधी कष्ट, ज़्वर, हैजा, हिस्टीरीया, हिर्द्य स्पंदन, बमन(उल्टी), कमाल, दंत कष्ट(दाँत के समस्त रोग), मासिक धर्म संबंधी कष्ट, नपुंसकता में उपयोगी एवम् जीवन को सुरक्षा देता है |

रत्न -> तुमरमलि: जीवन की समस्याओं को शीघ्रता से हाल करके भोतिक सुख प्रदान करता है |

जैसे: धन की कमी, नौकरी में बाधा, पति पत्नी में विवाद, प्रेम में विफलता, वाहन आदि का सुख, घर मकान आदि पूर्ण करता है |

रत्न -> लाजवर्त : चर्म रोगों में उपयोगी है |

जैसे: स्क्रीन प्राब्लम, कील मुँहासे, मस्सा, पित्ति उछलना, एलार्जी आदि समस्त चर्म रोगों में उपयोगी है |

रत्न -> वनेक्स : दाम्पात्या सुख प्रदान करता है, विषैले जंतुओं के काटने से बचाता है |

जैसे: सर्प आदि |

रत्न -> फ़िरोज़ा: यह गंभीर ख़तरों से रक्षा कर दीर्घ आयु प्रदान करता है |

जैसे: दुर्घटना, वाहंन दुर्घटना, चोट लगना, एक्सीडेंट, संतानों पदक एवम् काम शक्ति में विरद्धि कराता है |

रत्न -> कटेला: रातोंदी, पक्षघात, मासिक धर्म अनियमितता कष्टों में उपयोगी है |

रत्न -> ओपल: स्मरण शक्ति में व्राद्धि करता है |

जैसे: शिक्षा में कमी, याददाश्त को मज़बूत करता है |

दानाफ़िरोगा: गुर्दे संबंधी कष्टों को दूर करता है, लीवर संबंधी बीमारियों में काम आता है |